अस्थिर मन निरंकार पर ही टिक सकता है Nirankari Vichar Satguru Baba Gurbachan Singh Ji

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 अस्थिर मन निरंकार पर ही टिक सकता है

Nirankari Vichar Satguru Baba Gurbachan Singh Ji

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Nirankari Satguru Baba Gurbachan Singh Ji

Nirankari Vichar

अस्थिर मन का एक जगह पर टिकना कठिन होता है।

मन रूपी बंदर को ध्यान रूपी रस्सी से ब्रह्मज्ञान रूपी खम्बे के साथ बांध दो तो यह टिक जाएगा।

फिर चाहे यह इधर-उधर भागता भी दिखाई देगा, यानि कभी इसमें माया आएगी, कभी मान बड़ाई की बातें आएंगी या कभी दुनिया की और बातें आएंगी लेकिन फिर भी यह ज्ञान रूपी खम्बे से हट नहीं सकता, धूम-फिर कर यह एक निरंकार पर ही टिकेगा।

संसार में चाहे कोई कितना धनवान, बलवान, गुणगान ही क्यों न हो लेकिन ब्रह्मज्ञानी पूर्ण रहवर की कृपा के बिना उसे ईश्वर मिलने वाला नहीं है।

सद्गुरु की कृपा से ही ऐसा हो सकता है।

सद्गुरु की बख्शिश से जब हमारी लिव परमात्मा से जुड़ती है तब हमारा हर एक कर्म सुख ही सुख देता है, शान्ति ही शान्ति देता है।

-युगप्रवर्तक बाबा गुरबचन सिंह जी

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