Nirankari Vichar : परमात्मा पत्ते-पत्ते, डाली-डाली ब्रह्मांड के कण-कण में समाया है। परमात्मा अंदर-बाहर सब जगह मौजूद है और हर धर्म ग्रंथ ने यही समझाया है। परमात्मा को जानने के बाद मन से भय, स्वार्थ और अहंकार दूर हो जाता है। हानिकारक सोच और नकारात्मक विचार खत्म हो जाते हैं। सभी एक ही परमपिता-परमात्मा की ही रचना हैं। मनुष्य जीवन अनमोल है और जीते जी ही परमात्मा की पहचान करनी है। यह शरीर ही हमारी वास्तविक पहचान नहीं है बल्कि आत्मिक रूप ही वास्तविक पहचान है।
निरंकारी मिशन का परिचय | Introduction of Nirankari Mission
निरंकारी मिशन एक विश्वव्यापी आध्यात्मिक संगठन है जिसका उद्देश्य मानवता के बीच प्रेम, शांति, और एकता को बढ़ावा देना है। इस मिशन की स्थापना 1929 में बाबा बूटा सिंह जी द्वारा की गई थी। यह मिशन विभिन्न सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों के माध्यम से लोगों को आध्यात्मिक जागरूकता और मानवता की सेवा के लिए प्रेरित करता है। निरंकारी मिशन के अनुयायी अपने जीवन में सत्य, प्रेम, और सेवा के सिद्धांतों का पालन करते हैं।
व्यव्हार | Nirankari Vichar
शरीर की अवस्था (Nirankari Vichar) और आकार तो एक जैसा है परंतु व्यवहार से पता चलता है कि वह मानव है या दानव है। फरिश्ता और शैतान दोनों इंसानी रूप में ही होते हैं परंतु मानवीय गुणों से पता चलता है।
अवस्था | Nirankari Vichar
जैसे फूल में खुशबू होगी और कोमलता भी होगी, फूल जिस भी अवस्था में होगा खुशबू ही देगा। कोई भी फलदार पेड़ हो तो फल देगा साथ ही वह ऑक्सीजन भी देगा और छाया भी देगा।
धर्म | Nirankari Vichar
Nirankari Vichar : मानवता से ऊँचा कोई धर्म नहीं है और ऐसा ही इंसान का जीवन हो। जब मन में परमात्मा बसा रहता है तो प्यार का भाव, अपनत्व, एकता, विशालता, सहनशीलता, करुणा, दया इत्यादि मानवीय गुण मन में खुद-ब-खुद आ जाते हैं।
प्यार | Nirankari Vichar
जीवन में यदि भक्ति के बीज बीजेंगे तो उसका परिणाम अच्छा होगा, जीवन में प्यार ही प्यार होगा। इससे नफ़रत के कारण भी खत्म हो जाते हैं और किसी के प्रति भी नफ़रत का भाव नहीं होता, फिर मन में प्यार ही टिकेगा।
आदर-सत्कार और प्यार से भरा जीवन होगा तो जीवन व्यर्थ नहीं होगा बल्कि गुणवत्ता वाला जीवन हो जाएगा।
निरंकारी मिशन एक आध्यात्मिक संगठन है जो मानवता की सेवा, प्रेम, और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है। इसका उद्देश्य मानवता के बीच एकता और शांति स्थापित करना है।
निरंकारी मिशन की स्थापना कब और किसने की थी?
निरंकारी मिशन की स्थापना 1929 में बाबा बूटा सिंह जी ने की थी।
निरंकारी मिशन का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
निरंकारी मिशन का मुख्यालय दिल्ली, भारत में स्थित है।
निरंकारी मिशन के प्रमुख सिद्धांत क्या हैं?
निरंकारी मिशन के प्रमुख सिद्धांतों में ईश्वर की अनुभूति, मानवता की सेवा, प्रेम, शांति, और भाईचारे को बढ़ावा देना शामिल है।
निरंकारी मिशन की प्रमुख गतिविधियाँ क्या हैं?
निरंकारी मिशन के अंतर्गत सत्संग, सामाजिक सेवा, चिकित्सा शिविर, रक्तदान शिविर, और पर्यावरण संरक्षण जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
निरंकारी मिशन के वर्तमान आध्यात्मिक गुरु कौन हैं?
निरंकारी मिशन के वर्तमान आध्यात्मिक गुरु सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज हैं।
निरंकारी मिशन में शामिल होने की प्रक्रिया क्या है?
निरंकारी मिशन में शामिल होने के लिए किसी भी निरंकारी सत्संग में भाग लेकर, ईश्वर की अनुभूति प्राप्त कर सकते हैं और मिशन के सिद्धांतों का पालन कर सकते हैं।
निरंकारी मिशन का संदेश क्या है?
निरंकारी मिशन का संदेश है कि सभी मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान हैं और हमें प्रेम, शांति, और एकता के साथ जीवन व्यतीत करना चाहिए।
निरंकारी मिशन के सेवा कार्य क्या हैं?
निरंकारी मिशन द्वारा किए जाने वाले सेवा कार्यों में गरीबों की सहायता, अनाथालयों में सेवा, वृद्धाश्रमों में सेवा, और प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्य शामिल हैं।
निरंकारी मिशन के सत्संग में क्या होता है?
निरंकारी मिशन के सत्संग में भजन, प्रवचन, और आध्यात्मिक चर्चा होती है, जहाँ भक्त जन अपने अनुभव साझा करते हैं और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते हैं।
मानवता (Humanity) से बड़ा कोई धर्म नहीं है, मगर इंसान मानवता (Humanity) मानव धर्म को छोड़कर मानव के बनाये हुए धर्मों पर चल पड़ता है। ऐसा उसकी अज्ञानता के कारण होता है इंसान, इंसानियत को छोड़कर धर्म की आड़ में अपने मन के अन्दर छिपी, निंदा, नफरत और जाति-पाँति के भेद भाव के कारण अभिमान को प्राथमिकता देता है। इसके कारण ही मानव जीवन के मूल मकसद को भूल जाता है मानव प्यार करना भूल जाता है, अपने जन्मदाता को भूल जाता है इससे मानव मन में दानवता वाले गुणों का प्रभाव बढ़ता चला जाता है। आज धर्म के नाम पर लोग लहू लुहान हो रहे हैं।
मानवता (Humanity)को एक तरफ रखकर इंसान अपनी मनमर्जी अनुसार धर्म को कुछ और ही रूप दे रहा है, जिसके कारण इंसान से इंसान की दूरियाँ बढ़ रही है. कहीं जाति पाँति तो कहीं परमात्मा के नामों के झगड़ों के कारण दिलों में नफरत बढ़ती जाती है। इंसानियत खत्म होती जाती है, जहाँ इंसानियत खत्म होती है। वहा धर्म भी खत्म हो जाता है। सन्तों महापुरुषों ने यही संदेश दिया कि कुछ भी बनो मुबारक है, पर पहले इंसान बनो। आज मानवता के विपरीत दानवता का ही उदाहरण जगह-जगह नज़र आता है परिणामस्वरूप परिवार के परिवार उजड़ जाते हैं। आज इंसान दूसरे इंसान का दुश्मन बना हुआ है। अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए इंसान धर्म की ओट लेकर इंसान का खून बहाने से भी पीछे नहीं हटता ।
मानवता अपनाकर इंसान दूसरों को सुख देने का कारण बनता है दुख देने का नहीं। वह दूसरों को रोता देखकर खुश नहीं होता है वह जख्म देकर नहीं जख्म भरकर खुश होता है, दूसरों को गिराकर कर नही उठाकर खुश होता है। वह हमेशा भला करके खुश होता है भला-सोचना, भला ही करना, मानवता की असल निशानी है। मानवता की मजबूती के लिए मन में सद्भाव वाले भाव धारण करने होंगे, यह तभी संभव होता है, जब मन का नाता निर्मल पावन परम सत्ता से जुड़ा होगा, मानव परमपावन से जुड़कर कभी अपावन कार्य नहीं करेगा।
सन्त निरंकारी मिशनमें महापुरुषों के रहन-सहन, आचार-विचार, वेश-भूषा, खान-पान, बोली-भाषा अलग होते हुए भी विचारधारा और मानवीय सोच एक है। निरंकारी सन्त समागम भी मानवता के सुन्दर गुलदस्ते के रूप नजर आते हैं। यहाँ मानवता का जीवन्त स्वरूप नजर आता है। निरंकारी मिशन इंसानों का दृष्टिकोण विशाल कर रहा है। मिशन परमात्मा की जानकारी द्वारा लोगों के अंतर्मन के भावों को बदल रहा है। मन बदलता है तो स्वाभाविक रूप से स्वभाव भी बदलता है, विचार बदलते हैं और व्यक्ति के जीवन जीने का ढंग बदल जाता है, फिर जीवन की दिशा अपने-आप सही हो जाती है, फिर हर स्वाँस कह उठती है-
एक नूर ते सब जग,
उपजिया कउन भले कौन मन्दे ।
सद्गुरु माता जी कहते हैं कि विश्व में मानवता तभी कायम होगी जब हम मिलकर मानवता को अपने दिलो में, मनों और दिमागों में बसायेंगे। हम प्यार से रहें, मिलवर्तन को बढावा दें, दूसरों को खुशियाँ बाटें, ऊँच-नीच, जाति-पाँति, वैर, निंदा-नफरत की भावना को त्यागकर सारे संसार की सेवा करें।
सद्गुरु ने हमें सत्य से जोड़कर प्रेम से रहने की शिक्षा दी है, विश्वबन्धुत्व का पाठ पढ़ाते हुए मानव को मानव से प्रेम, नम्रता व सत्कार करना सिखाया हैं। सद्गुरु संसार में शान्ति व अमन-चैन का वातावरण बना रहे हैं। मानवता की वास्तविक स्थापना प्रेम, दया, करुणा, सहनशीलता और विशालता की स्थापना में निहित है। महापुरुषों ने मानवता को ही सच्चा धर्म माना है। मानवता को खत्म करके कभी भी धर्म को बचाया नहीं जा सकता है, धर्म को मजबूती नही प्रदान की जा सकती।
आज इंसान धर्म के नाम पर बँटा हुआ है। अपनी उपासना पद्धति अपने आराध्य, अपनी परम्पराओं को वह श्रेष्ठ मानता है और दूसरों से अकारण नफरत करता है। जिन पीर पैगम्बरों को वह अपना मार्गदर्शक स्वीकार करता है वास्तविकता में उनकी बातों को तो न ध्यान से समझने का प्रयास करता है और न ही उन्हें सच्चे मन से मानने का।
ध्यान से देखा-समझा जाये तो सभी सन्तों-महापुरुषों-पैगम्बरों ने मानवता की ही शिक्षा दी है। प्यार, नम्रता, सहनशीलता और सद्भाव का ही पाठ पढ़ाया है फिर भी इन्सान अपनी मनमति अपनाकर मानवता का अहित करता जाता है। आवश्यकता है मानवता के मर्म को समझ कर मानवता के धर्म को हृदय से अंगीकार किया जाए।
सर्वप्रिय सन्त, प्रसिद्ध कविविद्वान संपादक, प्रभावशाली विचारक, बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री Sulekh Sathi जी का जन्म 16 जून, 1953 को पिता श्री ज्ञान सिंह जी और माता वीरांवली जी के गृह अम्बाला शहर (हरियाणा) में हुआ। आरम्भिक शिक्षा अम्बाला शहर में हुई। तीन भाई और पाँच बहनों वाले परिवार की पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने में पिता का हाथ बंटाने का कार्य साथी जी ने शुरू से ही प्रयास जारी रखा। आपके परिवार का वातावरण भक्तिमय था जिसका व्यापक प्रभाव सुलेख साथी जी के ऊपर पड़ा। आपका समय शिक्षा ग्रहण करने, सेवा, भक्ति तथा परिवार के कार्यों को पूर्ण करने में व्यतीत होता। रोजगार की आवश्यकता को देखते हुए आपने हिन्दी स्टेनो की परीक्षा उत्तीर्ण की और पहले हिसार (हरियाणा) तथा बाद में दिल्ली सरकार में चयनियत हुए। श्री वासुदेव राय जी की प्रेरणा पाकर आप 1972 में दिल्ली आए और एक नजर अखबार से जुड़कर सन्त निरंकारी मिशन की सेवा करने लगे।
अम्बाला शहर में Sulekh Sathi जी के घर में संगत होती थी जहाँ माता-पिता की प्रेरणा से सभी भाई-बहनों को सेवा का अवसर मिला। आपके मन में आरम्भ से ही सेवा का जज्बा था। 1979 में श्री कुन्दन सिंह अरोड़ा जी की बेटीपूज्य चरणजीत कौर जी के साथ आप विवाह के बंधन में बंधे। आपने धर्मपत्नी से यही आग्रह किया कि आपने घर संभालना है और दास को सत्गुरु की सेवा के लिए समय उपलब्ध कराना है। आपने सत्गुरु की सेवा में सहयोग देना है। पति-पत्नी के बीच यह समझ जीवनपर्यन्त कायम रही। बेटियां नवनीत जी, नवीन जी और बेटे सुप्रीत जी ने भी माता-पिता के आदर्श गुरसिखी जीवन का अनुकरण किया और सतगुरु की सेवा में सदा समर्पित रहे। स्वयं को पीछे रखकर सतगुरु की शिक्षाओं को सदैव उजागर करते रहे। बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न सुलेख साथी जी में अनेकों गुण थे। आपने अपनी योग्यता को पूरी दक्षता के साथ गुरु कार्य में लगाया। आप सत्संग में गहरी रुचि रखते थे और हर संभव सत्संग में पहुँचने का प्रयास करते थे। आपने बाल संगत और युवा संगत को बढ़ावा देने में पूरा योगदान दिया। निरंकारी सन्त समागम के समय एकोमोडेशन कमेटी का अंग बनकर हर महात्मा की सुविधाओं का ख्याल रखते। प्रचार-प्रसार की हर गतिविधि से आप तन्मयतापूर्वक जुड़े रहे।
बाबा गुरबचन सिंह जी, ममतामयी निरंकारी राजमाता जी, बाबा हरदेव सिंह जी, माता सविन्दर हरदेव जी और सतगुरु माता सुदीक्षा जी तथा निरंकारी राजपिता रमित जी का आपको भरपूर स्नेह- आशीर्वाद प्राप्त हुआ। होली सिस्टर्स की भी आपके ऊपर विशेष रहमतें रहीं।
Sulekh Sathi जी की गुरुवंदना कार्यक्रमों में शुरुआत से ही सहभागिता रही। आप कवि सभा की विभिन्न गतिविधियां के केन्द्र में रहे। पुराने कवियों का साथ लेकर आप नए उभरते कवियों को आगे बढ़ाते रहे। सन्त निरंकारी सीनियर सेकेंड्री स्कूल (बॉयज) के दस वर्ष तक चेयरमैन रहे। उत्तरी दिल्ली के जोनल इंचार्ज की सेवाएं भी बाखूबी निभाई। आपने सन्त निरंकारी पत्रिका – प्रकाशन के साथ-साथ मिशन के साहित्य की भरपूर सेवा की। आप अंतिम स्वांसों तक सन्त निरंकारी, एक नजर और हँसती दुनिया (पंजाबी) के संपादक की सेवा बहुत कुशलतापूर्वक निभाते रहे। ज्ञान प्रचारक के रूप में भी आपका सराहनीय योगदान रहा और समय-समय पर अनेक राज्यों की प्रचार यात्रा पर जाते रहे।
दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों पर्यटन, सेल्स टैक्स और तीस हजारी कोर्ट में आपने शालीनता और पूरी प्रवीणता के साथ सेवा करके विभागीय अधिकारियों की प्रशंसा प्राप्त की । शुक्रवार 7 जुलाई को आप सन्त निराकारी कार्यालय आए और बड़ी लगन व सहजता से पत्रिका विभाग की अपनी सेवाओं को निभाया तथा अनेकों महात्माओं से गुरुचर्चा करते रहे। 8 जुलाई, 2023 को हरमन प्यारे, हरदिल अजीज सुलेख साथी जीजीवन यात्रा पूरी करके इस अविनाशी परमसत्ता निरंकार में लीन हो गए-
जिउ जल महि जलु आइ खटाना ।
तिउ जोती संग जोति समाना।
Sulekh Sathi Ji Life 16.06.1953 – 08.07.2023
10 जुलाई को मैरिज ग्राउंड निरंकारी कालोनी से अंतिम यात्रा निगमबोध घाट दिल्ली पहुँची। सी.एन.जी. शवदाह गृह में अंतिम संस्कार सम्पन्न हुआ जिसमें सैकड़ों भक्त शामिल हुए। भीगी आँखों से आपको भावपूर्ण श्रद्धाजंलि देते भक्तों के मन आपकी अविस्मरणीय यादों से भरे हुए थे। आपकी यादें हमेशा सभी के दिलों में रहेंगी।
जीवन क्या है प्रभु दया है, मरण है क्या बस प्रभु रज़ा है।
हमको जितना मिला है जीवन, उसको जीना एक कला है।
सब की आंख का तारा जीवन, सब को लगता प्यारा जीवन ।
दुःख-सुख में जो बनता ‘साथी’ होता है वो न्यारा जीवन ।
शहंशाह जी से रहमतें प्राप्त निरंकारी कॉलोनी निवासी हंसमुख, मिलनसार, हरमन प्यारे, निरंकारी कवि, लेखक और सन्त निरंकारी (पंजाबी पत्रिका) के सम्पादक, श्री सुलेख साथी जी, ( Rev. Sulekh Sathi Ji ) 08 जुलाई, शनिवार को अकस्मात हृदय घात होने से निरंकार प्रभुसत्ता द्वारा प्रदत्त स्वांसों को पूर्ण कर गुरु चरणों में तोड़ निभाते हुए (16.06.1953 – 08.07.2023) नश्वर शरीर त्यागकर निरंकारमय हो गए हैं।
उनके पार्थिव शरीर को अन्तिम दर्शनों के लिए,10 जुलाई सोमवार को सुबह 9.30 बजे, मैरिज ग्राउंड, निरंकारी कॉलोनी में लाया गया और तदुपरांत, वहीं से 12 बजे, अन्तिम यात्रा आरम्भ होकर,12.30 बजे, निगम बोध घाट (CNG), कश्मीरी गेट, दिल्ली में सम्पन्न हुई।
👇ऐसा था हमारे सतगुरु के हरमन प्यारे समर्पित सन्त, खुशविन्दर नौल ‘मिंटू जी’ का प्रेरणादायक जीवन | Inspirational Saint : Rev. Khushvinder Naul Mintu Ji 25.11.1975 to 29.06.2023👇
जिन्हें हम प्यार करते हैं वास्तव में वो हमें कभी नहीं छोड़ते, वो अपनी उसी उदारता और करुणा के साथ हमारे साथ होते हैं। खुशविन्दर नौल जी, जिन्हें सभी प्यार से मिंटू जी कहते थे, Khushvinder Naul Mintu Ji ने अपनी अद्वितीय दयालुता और सत्गुरु के प्रति अगाध निष्ठा से सभी के दिलों में स्थान बनाया। हर दिल अजीज, हरमन प्यारे मिंटू जी के चेहरे पर हमेशा गुरमत की चमक और सभी के लिए प्यार का भाव रहता था। अपने सम्पर्क में आने वाले हर व्यक्ति के दिल में, अपनी पहली मुलाकात में ही वे जगह बना लेते थे।
खुशविन्दर नौल जी (Khushvinder Naul Mintu Ji) का जन्म नीलोखेड़ी जिला करनाल (हरियाणा) में पिता श्री टहल सिंह जी एवं माता श्रीमती वरिन्दर कौर जी के गृह में हुआ। तीन भाई-बहन वाले परिवार का वातावरण आरंभ से ही पूरी तरह से भक्तिभाव वाला था। मिन्टू जी की आरंभिक शिक्षा नीलोखड़ी और बाद की शिक्षा भिवानी और दिल्ली में हुई। वे बचपन से ही अध्यात्म के रंग में रंगे हुए थे। खेलकूद में भी उनकी रुचि थी। बचपन से ही वे बाल संगत में नियमित रूप से जाते और सत्गुरु की शिक्षाओं को सुनते-समझते रहे।
मिंटू जी (Khushvinder Naul Mintu Ji) पर उनकी नानी श्रीमती प्रसन्न कौर जी एवं नाना सौदागर सिंह जी का बहुत प्रभाव पड़ा, जिन्होंने करनाल में निरंकारी संगत आरंभ की थी। शहंशाह जी का वहां आगमन होता रहता था। उस दौर में यद्यपि महिलाएं कम सक्रिय होती थीं परन्तु शहंशाह जी का आशीर्वाद पाकर वो कविताएं लिखतीं और प्रचार-प्रसार में भरपूर योगदान देती थीं। जब वो गुरबाणी का सुंदर गायन करतीं तो मिंटू जी बड़े ध्यान से उसका आनंद लेते थे। उस समय मिन्टू जी तबला और उनकी बहन हारमोनियम बजाती थीं। भक्ति गीत-संगीत की गहरी रुचि ने उनके अन्दर आध्यात्मिकता का भाव दृढ़ किया। नीलोखेड़ी में ही उन्हें बाउ महादेव सिंह जी से ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति हुई । निरंकार प्रभु को अंग-संग पाकर उनकी रूह खिल उठी।
मिंटू जी के जीवन में परमात्मा का भय मानकर रहने तथा सच्चाई और अच्छाई को अपनाने का भाव बचपन से ही था। एक बार बाल सुलभ स्वभाव के कारण, साथ खेलने वाले बच्चों के साथ पडोस के अहाते में जाकर पेड़ से अमरूद तोड़ लाए। उन्होंने ऐसा कर तो दिया पर मन में निरंकार का भय वाला भाव इतना गहरा था कि अपनी गलती का तुरन्त एहसास हुआ तो घर से कपड़ा लिया और तोड़े गए अमरूदों को पेड़ की डाल से जोड़ने की कोशिश की। प्रभु से प्रेम और भय दोनों ही भाव जीवन पर्यन्त उनके अन्दर गहराई तक प्रभावी रहे।
नीलोखेड़ी में उनके पिता टहल सिंह जी की वर्कशाप मुख्य मार्ग पर थी। दिल्ली या आस-पास से आते-जाते हुए पुरातन महात्मा कुछ समय इनकी दुकान पर अवश्य रुकते और भरपूर आशीर्वाद देकर जाते। बाद में मिंटू जी माता-पिता के साथ दिल्ली आ गए। बाउ महादेव सिंह जी का निरंकारी कालोनी स्थित मकान उनका नया निवास स्थान बना, जहां भगत कोटूमल जी. राजकवि जी, सत्यार्थी जी, निर्माण जी आदि सन्तों के साथ गहरा लगाव रहा।
मिंटू जी ने घर-परिवार की जिम्मेदारियां बाखूबी निभाई और अनेक संघर्षों का सामना करते हुए जीवन को लय पर लाने में सफल हुए। वो मिशन की सेवाओं में पूरी श्रद्धा से लगे रहे। बाबा हरदेव सिंह जी, माता सविंदर हरदेव जी और वर्तमान सतगुरु माता सुदीक्षा जी का उन्हें भरपूर स्नेह आशीर्वाद मिलता रहा। इन रहमतों के मूल में उनके द्वारा विनम्र भाव से की गई सेवाएं ही थीं। कोठी की सेवाएं हो, प्रदर्शनी विभागएकोमोडेशन कमेटी में रहकर सन्त समागम के अवसर पर की जाने वाली सेवाएं उन्होंने सभी को सच्ची निष्ठा से निभाया।
सतगुरु माता जी ने उन्हें पत्रिका प्रकाशन, इस्टेट मैनेजमेन्ट, डिजाइन स्टूडियो और मानव संसाधन विभाग के को-आर्डिनेटर के रूप में सेवा का अवसर प्रदान किया, जिसे वे पूरी लगन से निभाते रहे। मिन्टू जीदेश-दूरदेश की कल्याण यात्राओं में सतगुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज एवं सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के साथ शामिल होते रहे। उन्होंने सतगुरु को हमेशा सेवादारों का हित करते देखा और स्वयं भी यही प्रयास करते रहे कि हर सेवादार की हर समस्या का समाधान संभव हो सके।
जब कोविड महामारी का भयावह समय आया तब उन्होंने सत्गुरु माता जी के आशय अनुसार मानवता को राहत पहुंचाने वाले कार्यों में पूरी लगन व निर्भीकता से स्वयं को समर्पित किया। जरूरतमंदों को आक्सीजन, सिलेण्डर, मास्क, पी.पी.ई. किट, दवाईयां, लंगर आदि पहुंचाने में वे दिन रात लगे रहे।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी ने जब निरंकारी यूथ सिम्पोजियम (NYS) के आयोजन आरंभ किए तो मिन्टू जी इससे सम्बन्धित सारी व्यवस्थाओं में लगातार लगे रहते। सत्गुरु की सेवा करने हुए उन्हें अपने आराम की लेशमात्र भी चिंता नहीं होती थी।
29 जून, 2023 को श्री खुशविन्दर नौल जी 47 वर्ष की आयु में नश्वर शरीर त्यागकर निरंकार में लीन हो गए। अपने छोटे परन्तु यादगार जीवन काल में उन्होंने अपनी कर्मठता और प्रभु पर विश्वास के बल पर जीवन के हर पल का स्वागत किया। उन्होंने अपनी अद्वितीय विनम्रता से जीवन के पल-पल को जीवन्त किया और साहसपूर्वक हर परिस्थिति का सामना किया। सतगुरु की सेवा में सदैव समर्पित उनका जीवन प्रेरणा और स्फूर्ति से भरा हुआ था।
पूरा नौल परिवार सत्गुरु एवं समस्त साध संगत के प्रति शुकराने और कृतज्ञता का भाव व्यक्त करते हुए यही अरदास करता है कि जो प्रेरणा खुशविंदर जी ने अपनी अटूट सेवा व भक्ति भाव से दी, उसका हम भी अपने जीवन में अनुसरण कर पाऐं।
Dhan Nirankar Ji Santo ! सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन सानिध्य में एक विशाल सत्संग कार्यक्रम रानी पोखरी, ब्रांच भोगपुर, देहरादून, उत्तराखंड में आयोजित होना निश्चित हुआ है। Nirankari Satsang Bhogpur
DATE
11 Jun 2023 (दिनांक : रविवार, 11 जून 2023)
TIME
11:00 am – 2:00 pm (समय : प्रात 11:00 से दोपहर 2:00 बजे तक)
LOCATION
Rani Pokhri, Bhogpur, Dehradun, Uttarakhand (स्थान : राजकीय रेशम फार्म के पास, रानी पोखरी, ब्रांच भोगपुर, देहरादून, उत्तराखंड)
कृपया सही समय पर पहुँच कर सत्गुरु के आशीर्वादों के पात्र बनें।
🙏🏻इस कार्यक्रम की सूचना शीघ्र सर्व साध संगत तक पहुंचा दें ताकि सभी महात्मा सत्संग का लाभ प्राप्त कर पाएं।🙏🏻
Nirankari Samarpan Diwas 2023 Programme at Samalkha Haryana
साध संगत जी प्यार से कहना – धन निरंकार जी
साध संगत जी, अपना जीवन मानवता को समर्पित करने वाले – सतगुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज की याद में, 13 मई 2023, शनिवार ( 13 May 2023, Saturday ) – शाम 05:00 बजे से रात्रि 09:00 बजे तक – सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज हम सभी को संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा, हरियाणा में आयोजित होने वाले ‘समर्पण दिवस 2023’ ( Nirankari Samarpan Diwas 2023) कार्यक्रम पर आशीर्वाद देंगे |
Nirankari Samarpan Diwas 2023 Programme at Other Branches Of Sant Nirankari Mission
और साथ ही, साध संगत जी, आपको बता दें की 13 मई 2023, शनिवार को पूरे भारत में यानी की संत निरंकारी मिशन के सभी शाखाओं में समर्पण दिवस 2023 कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
परन्तु, साध संगत जी समालखा के आसपास के 150 किलोमीटर के दायरे में दिल्ली, एनसीआर और पास के क्षेत्रों के सभी संत – संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा पहुंचें और सतगुरु माता जी व राजपिता रमित जी का आशीर्वाद प्राप्त करें |
Important Information Regarding Other Satsang Programmes
आखिर में सभी संतों को सुचित किया जाता है कि 14 मई, 2023 को पूरे भारत में किसी भी सन्त निरंकारी मिशन शाखा में कोई भी सत्संग नहीं होगा।
Nirankari NYS Haryana Samalkha 2023 in the presence of Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj and Rajpita Ramit Ji. Get Full Information about its Registration | Date | Timings below. If you want to know more about NYS ( Nirankari Youth Symposium ) then Click 👉 here 👈
Nirankari NYS Haryana 2023
Saints say with love Dhan Nirankar ji. Saints Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj Gave us a bundle of blessings in the form of Nirankari Youth Symposium ( NYS ) Samalkha | Haryana 2023. Those who cannot attend NYS Haryana 2023 Programme Physically, can attend Nirankari Live Onlinehere.
साध संगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी | सत्संग जी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने सभी नौजवानों पर रहमत बरसाते हुए एनवाईएस यानी कि निरंकारी यूथ सिंपोजियम आयोजित किया है. जो सन्त हरियाणा जाकर NYS कार्यक्रम नहीं देख सकता वह NYS हरियाणा 2023 Nirankari Live कार्यक्रम को ऑनलाइन भी यहाँ देख सकता है |
Note :-
Only Saints with 15 to 40 years of Age and Saints belong to State Haryana only can take part in NYS Haryana 2023 but Everyone can be present at the programme and can seek blessings of Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj and Rajpita Ramit Ji.
सभी संतो को सूचित किया जाता है कि एन.वाई.एस ( NYS ) हरियाणा 2023 मैं रजिस्ट्रेशन और हिस्सा केवल 15 से 40 वर्ष की आयु के महापुरुष ही ले सकते हैं परंतु पूरा कार्यक्रम को देख व सतगुरु माता सुदीक्षा जी और राज पिता रमित जी की रहमते सारे संत प्राप्त कर सकते हैं |
NYS Samalkha Haryana Complete Details :-
Location : Sant Nirankari Adhyatmik Sthal, Samalkha, Haryana
Date :31st March ( NYF Games Programme ), 1st to 2nd April( NYS Programme )
Nearest Railway Station : Samalkha Railway Station (SMK)
एनवाईएस हरियाणा 2023 की संपूर्ण जानकारी :-
जगह या स्थान : संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा, हरियाणा
तारीख या तिथि :31 मार्च ( एनवाईएफ गेम्स ) 1 से 2 अप्रैल ( एनवाईएस कार्यक्रम )
By visiting this👉 Link 👈 you can visit the Registration Page of NYS Haryana 2023 and enroll in the Registration Process by Filling the required Details.
Who can Participate in NYF Games and in NYS Harayana 2023 ?
Saints within the age of 15 – 40 and Saints Belong to Haryana State can participate in NYF Games and in NYS Programme but everyone can join and take blessings of Mata Ji at the Ground.
एन.वाई.एस ( NYS )हरियाणा 2023 में कैसे भाग लें ?
अगर आप भी एन.वाई.एस समालखा हरियाणा 2023 का रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो इस 👉 वेबसाइट 👈 पर जाके कर सकते हैं |
एन.वाई.एस ( NYS ) हरियाणा 2023 का रजिस्ट्रेशन कौन-कौन कर सकता है ?
सभी महापुरुषों को बता दें कि केवल 15 से 40 वर्ष की आयु के नौजवान ही एन.वाई.एस हरियाणा 2023 के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं | यह नौजवान केवल हरियाणा से ही होने चाहिए |
NYS Today Nirankari Live Online :-
NYS Haryana 2023 will also be broadcasted LIVE today here. ( Today Nirankari Live Sant Samagam )
Nirankari Samarpan Diwas 2023 समर्पण दिवस – 13 May
Nirankari Live Satsang Paschim Vihar Delhi
NYS Samalkha Haryana 2023
Nirankari Live Sangam Vihar South Delhi
Nirankari Live Matiala New Delhi
FAQs :-
What is the Full Form of NYS ?
Nirankari Youth Symposium
What is the date of NYS Haryana 2023 ?
31st March ( NYF Games Programme ), 1st – 2nd April ( NYS Programme )
What is the Full Form of NYF ?
Nirankari Youth Forum
On What NYS is based on ?
NYS is based on “The Six Elements”
What is the Aim of NYS ?
NYS is a part of NYF held by Sant Nirankari Mission. NYS specially aim for Youth to get connect with Social and Spiritual Aspect of World. If you want to Know more about NYS then click 👉 here 👈
What is NYF Games ?
NYF Games includes many Ancient Sports and Modern Sports Activites like Malkham, Cricket, Basketball, Badminton, Chess etc. performed by Youth in front of Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj and Whole Satsang. Sometimes Satguru Mata Ji also takes Part in Various Activites.
What is the location of NYS Haryana 2023 ?
Sant Nirankari Adhyatmik Sthal, Samalkha, Haryana
Which Railway Station is nearest to Nirankari Samagam Ground, Samalkha, Haryana ?
Samalkha Railway Station (SMK)
Who Can take Part in NYS and NYF Games ?
Saints who are in age group of 15 – 40 years and those who belongs to Haryana State only – can take part in these Activities. But everyone can come to ground and can enjoy the whole NYS Programme as well as can seek Blessings of Satguru Mata Sudiksha ji Maharaj and Rajpita Ramit Ji
How to do Registration of NYS Haryana 2023?
You can simply visit this 👉 link 👈 and can participate in NYS Haryana 2023.
Will the NYS Haryana 2023 Programme be Nirankari Live Today ?
धन निरंकारी जी संतो सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज जी की असीम कृपा से पोचिलिमा ओडिशा निरंकारी संत समागम की विस्तृत जानकारी इस प्रकार से है | The Details of Pochilima Odisha Nirankari Sant Samagam
What is the date of Pochilima Odisha Nirankari Sant Samagam
1. DATE : 12 Feb 2023
What is the Satsang Time of Pochilima Odisha Nirankari Sant Samagam
2. TIME IST 11:00 am – 2:00 pm
What is the Location of Pochilima Odisha Nirankari Sant Samagam
3. LOCATION : Sant Nirankari Satsang Bhawan, near Sankar Eye Hospital, At/Po-Samarjhola, via. Kanchuru, District. Ganjam, Odisha 761101
Who is the Organizer of Pochilima Odisha Nirankari Sant Samagam
56th nirankari sant samagam maharashtra aurangabad | Day 2 | Sewadal Rally | Blessings of Her Holiness Satguru Mata Sudiksha Ji and Nirankari Rajpita Ji
56th nirankari sant samagam maharashtra aurangabad day 2 sewadal rally blessings of Her Holiness Satguru Mata Sudiksha Ji and Nirankari Rajpita Ji
The Sant Nirankari Mission is a spiritual organization that was founded in 1929 in Peshawar (Presently situated in PAKISTAN) by Baba Buta Singh Ji. The organization’s teachings are based on the belief in the unity of all religions and the importance of realizing the true self through self-realization and service to others. The Sant Nirankari Mission promotes the message of love, peace, and harmony among all people and emphasizes the importance of personal transformation to achieve a better world.
The Sant Nirankari Mission has a global presence, with centers and followers in several countries around the world. The organization conducts regular Satsang’s (spiritual discourses), meditation sessions, and community service activities to promote its message and values. The mission has also been involved in several charitable initiatives, including disaster relief efforts, healthcare, education, and environmental conservation.
Who is the Founder of Sant Nirankari Mission
Sant Nirankari Mission was founded by Baba Buta Singh Ji in 1929 in Peshawar (Presently situated in PAKISTAN). He was a spiritual leader who aimed to promote the universal brotherhood and spiritual unity among people of different religions and castes. Baba Buta Singh Ji believed in the philosophy of “Nirankar,” which means formless or without a physical body, and he preached the message of love, peace, and harmony. Today, the Sant Nirankari Mission has millions of followers across the world, and it continues to promote the message of human unity and spirituality.
Nirankari Samarpan Diwas 2023 समर्पण दिवस – 13 May
Nirankari Live Satsang Paschim Vihar Delhi
NYS Samalkha Haryana 2023
Nirankari Live Sangam Vihar South Delhi
Nirankari Live Matiala New Delhi
Who is the Founder of Sant Nirankari Mission
Sant Nirankari Mission was founded by Baba Buta Singh Ji in 1929 in Peshawar (Presently situated in PAKISTAN). He was a spiritual leader who aimed to promote the universal brotherhood and spiritual unity among people of different religions and castes. Baba Buta Singh Ji believed in the philosophy of “Nirankar,” which means formless or without a physical body, and he preached the message of love, peace, and harmony. Today, the Sant Nirankari Mission has millions of followers across the world, and it continues to promote the message of human unity and spirituality.
What is Sant Nirankari Mission
The Sant Nirankari Mission is a spiritual organization that was founded in 1929 in Peshawar (Presently situated in PAKISTAN) by Baba Buta Singh Ji. The organization’s teachings are based on the belief in the unity of all religions and the importance of realizing the true self through self-realization and service to others. The Sant Nirankari Mission promotes the message of love, peace, and harmony among all people and emphasizes the importance of personal transformation to achieve a better world. The Sant Nirankari Mission has a global presence, with centers and followers in several countries around the world. The organization conducts regular Satsang’s (spiritual discourses), meditation sessions, and community service activities to promote its message and values. The mission has also been involved in several charitable initiatives, including disaster relief efforts, healthcare, education, and environmental conservation.
Nirankari Satguru Mata Sudiksha Ji, 13 मार्च, 1985 को बाबा हरदेव सिंह जी और माता सविंदर जी के पवित्र परिवार में जन्मी तीन बहनों में सबसे छोटी सुदीक्षा जी अपने धैर्य, शक्ति, विश्वास और ज्ञान के कारण हमेशा सबसे अलग रहीं। उन्होंने अपने छात्र जीवन में हमेशा एक गुरसिख के गुणों को बरकरार रखा। उसने मनोविज्ञान में स्नातक किया है।
Nirankari Satguru Mata Sudiksha Ji’s Life
Nirankari Satguru Mata Sudiksha Ji ने जीवन में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने के बाद भी, सुदीक्षा जी का निरंकार में विश्वास कभी नहीं टूटा। वह हमेशा अपने आसपास के सभी लोगों के लिए शक्ति और आनंद का स्तंभ रही है। जब 16 जुलाई 2018 को माता सविंदर हरदेव जी महाराज ने उन्हें मिशन का नेतृत्व करने की सेवा सौंपी, तो निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी भक्तों, विशेषकर युवाओं को एक नेक, अनुशासित और सार्थक मार्ग की ओर लगातार प्रेरित और मार्गदर्शन कर रही हैं। वह मानती हैं और उपदेश देती हैं कि ईश्वर को जानना ही संतुलित और आनंदमय जीवन जीने का एकमात्र तरीका है।
44 वां उत्तर प्रदेश निरंकारी सन्त समागम 2023 Nirankari Satguru Mata Sudiksha Ji की हुज़ूरी में
Who is Nirankari Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj ?
Born on 13th March, 1985 in the Holy family of Baba Hardev Singh Ji and Mata Savinder Ji, the youngest of three sisters, Sudiksha Ji always stood out because of her patience, strength, faith and wisdom. She always upheld the virtues of a gursikh in her student life. She has done her bachelors in psychology. Even after facing challenging situations in life, Sudiksha Ji never lost her faith in Nirankar. She has always been a pillar of strength and joy to everyone around her. When Mata Savinder Hardev Ji Maharaj handed over the sewa of leading the Mission to her on 16th July 2018, Nirankari Satguru Mata Sudiksha Ji has been continuously motivating and guiding the devotees, especially the youth towards a righteous, disciplined and meaningful path. She believes and preaches that Knowing God is the only way to lead a balanced and blissful life. Ever since Satguru Mata Ji was consecrated as the sixth Master of the Nirankari Mission, she has been travelling to every nook and corner of India to spread the message of Love and Peace, by establishing the connect of a soul with the oversoul, the formless God. Her tours across the world have stabilized the wavering minds of the youngsters, giving them both direction and purpose. Her life partner, Rev Ramit Chandna Ji, has been walking shoulder to shoulder with her on this path of benevolence and human welfare. The journey of Nirankari Youth Symposiums (NYS), held in India and abroad, vividly bring forth the vision of Satguru Mata Ji. NYS has been a revolutionary step wherein the youth has found a platform for expression of their thoughts along with a methodical understanding of their doubts. Mata Sudiksha Ji not only wants people to know God, but to know God in true essence. It is with the blessings and guidance of Satguru Mata Ji that the Mission and its volunteers could serve lakhs of affected people during the current Covid-19 crisis, when lockdown forced people to stay where they were. Nirankari Satguru Mata Sudiksha Ji preaches acceptance of God’s will, doing our best in every field, working hard as a team, so as to ascertain organic and holistic growth of our society. She advocates wise use of natural resources, conserving and preserving energy in every possible way. Thus, in simple words, it would be no exaggeration to state that Nirankari Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj is a spiritual master who loves to lead by example. Sheltering the faith of every disciple, Your devoted life is a living example, Be it the rains or the blaring sun, You witnessed and believed the only one
When was Nirankari Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj born?
Nirankari Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj born on 13th March, 1985 in the Holy family of Baba Hardev Singh Ji and Mata Savinder Ji, the youngest of three sisters, Sudiksha Ji always stood out because of her patience, strength, faith and wisdom.
Nirankari Samarpan Diwas 2023 समर्पण दिवस – 13 May
Dhan Nirankar ji Santo🙏🏻ब्रह्मज्ञान से मन को उज्ज्वल करने वाला सत्गुरु है और यही उज्ज्वलता लेकर एक बार फिर से सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज हमें भरपूर रहमतें और बख़्शिशें हम सब की झोलियों में डालने Nirankari Live Delhi आ रहे हैं जी
दिल्ली बुराड़ी में निरंकारी सत्संग ग्राउंड नंबर 8 में सत्संग कब से शुरू हो रहा है ?
दिल्ली बुराड़ी में निरंकारी सत्संग ग्राउंड नंबर 8 में सत्संग दिनांक 11 दिसम्बर 2022 से शुरू हो रहा है .
Satguru is the one who enlightens the mind with the knowledge of Brahman and taking this brightness once again Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj is coming to Nirankari Live Delhi to shower abundant blessings and blessings on us all 🌸 Divine Blessings by Her Holiness Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj ji.
दिल्ली बुराड़ी में निरंकारी सत्संग ग्राउंड नंबर 8 में सत्संग का समय क्या है ?
दिल्ली बुराड़ी में निरंकारी सत्संग ग्राउंड नंबर 8 में सत्संग का समय सुबह के 11 बजे से दोपहर के 14:30 बजे तक है .
Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj ji ke पावन सानिध्य में एक विशाल सत्संग कार्यक्रम ग्राउंड न. 8, बुराड़ी रोड, दिल्ली में आयोजन होना निश्चित हुआ है। A huge satsang program in the holy presence of Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj ji at Ground no. 8, Burari Road, Delhi has been decided to be held.
दिल्ली बुराड़ी में निरंकारी सत्संग ग्राउंड नंबर 8 में सत्संग पहुँचने के लिए नजदीकी मेट्रो स्टेशन कौन सा है ?
दिल्ली बुराड़ी में निरंकारी सत्संग ग्राउंड नंबर 8 में सत्संग पहुँचने के लिए नजदीकी मेट्रो स्टेशन मजलिस पार्क है
जिसका समय – 11 दिसंबर 2022 ,रविवार, सुबह 11:00 से दोपहर 2:30 बजे तक रहेगा और इस विशाल सत्संग का स्थान- ग्राउंड नंबर- 8 बुराड़ी रोड, दिल्ली Nirankari Live Delhi रहेगा जी . Whose time – 11 December 2022, Sunday, will be from 11:00 am to 2:30 pm and the place of this huge satsang – Ground No. – 8 Burari Road, Delhi Nirankari Live Delhi will remain.
यहाँ Nirankari Live Delhi पहुँचने के लिए नज़दीकी मेट्रो स्टेशन – मजलिस पार्क (पिंक लाइन) ग्राउंड न. 8 से 2.7 कि. मी. की दूरी पर है जी . Nearest metro station to reach Nirankari Live Delhi is Majlis Park (Pink Line) Ground No. 8 to 2.7 km m. G is at a distance of .
दिल्ली NCR की किसी भी ब्रांच में इस दिन सत्संग का कोई भी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। No program of Satsang will be organized on this day in any branch of Delhi NCR.
विशेष नोट:- मुकरबा चौक एवं निरंकारी कॉलोनी की तरफ से आने वाले वाहन निरंकारी चौक से ना मुड़ कर आउटर रिंग रोड के जगतपुर मोड़ से बाएं होकर ग्राउंड नंबर 8 के हरदेव नगर की तरफ के गेट से एंट्री करेंगे। इसी प्रकार ISBT की तरफ से आने वाले वाहन जगतपुर की ओर जाने वाला फ्लाई ओवर लेकर हरदेव नगर- झरोदा वाले रोड से होते हुए ग्राउंड नंबर 8Nirankari Live Delhi में एंट्री करेंगे।
Special Note:- Vehicles coming from Mukarba Chowk and Nirankari Colony will not turn from Nirankari Chowk and take left from Jagatpur turn of Outer Ring Road and enter through Hardev Nagar side gate of Ground No.8. Similarly, Nirankari Live Delhi vehicles coming from ISBT side will take the flyover towards Jagatpur and enter Ground No. 8 via Hardev Nagar-Jharoda Road. | Satsang Program Nirankari Live Delhi 2022
इस कार्यक्रम Nirankari Live Delhi की सूचना शीघ्र सर्व साध संगत तक पहुंचा दें ताकि सभी महात्मा सत्संग का लाभ प्राप्त कर पाएं ।
The information of this program should be conveyed to all the people as soon as possible so that everyone can get the benefit of the Mahatma’s satsang.
दिल्ली एवं ग्रेटर-दिल्ली के प्रबंधक महात्मा कृपया ध्यान दें कि इस दिन रविवार को दिल्ली, ग्रेटर-दिल्ली की किसी भी ब्रांच में सत्संग का कोई भी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा और साथ ही आप सभी प्रबंधक महात्माओं के चरणों में प्रार्थना है कि इस कार्यक्रम की सूचना शीघ्र सर्व साध संगत तक पहुंचा दें ताकि सभी महात्मा सत्संग का लाभ प्राप्त कर पाएं ।
Manager Mahatma of Delhi and Greater-Delhi Please note that on this day Sunday, no program of satsang will be organized in any branch of Delhi, Greater-Delhi and also we pray at the feet of all the Manager Mahatmas that this program The information should be conveyed to all the people immediately so that everyone can get the benefit of the Mahatma’s satsang.
मुकरबा चौक एवं निरंकारी कॉलोनी की तरफ से आने वाले वाहन निरंकारी चौक से ना मुड़ कर आउटर रिंग रोड के जगतपुर मोड़ से बाएं होकर ग्राउंड नंबर 8 के हरदेव नगर की तरफ के गेट से एंट्री करेंगे। इसी प्रकार ISBT की तरफ से आने वाले वाहन जगतपुर की ओर जाने वाला फ्लाई ओवर लेकर हरदेव नगर- झरोदा वाले रोड से होते हुए ग्राउंड नंबर 8Nirankari Live Delhi में एंट्री करेंगे।
निरंकारी सन्त समागम क्या है ?
एक रूहानी संसार है निरंकारी सन्त समागम. जहाँ रूहानियत और इंसानियत का संग-संग मेल होता है.
What is Nirankari Saint Samagam?
Nirankari Saint Samagam is a spiritual world. Where there is harmony of spirituality and humanity.
धन निरंकार जी संतो ! आप सभी को यह जानकार बहुत ही ख़ुशी होगी कि लम्बे समय से आप सभी को जिस रूहानियत की घड़ी का इंतज़ार था वो घड़ी अब सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज जी की असीम कृपा से 56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam ( 56वां महाराष्ट्र वार्षिक निरंकारी सन्त समागम 2023 ) के रूप में हमारी झोलियों में आ रही हैं . Maharashtra’s 56th Annual Nirankari Sant Samagam : Annual Maharashtra Nirankari Samagam Dates Announced.
गुरु की प्यारी साध संगत जी, महाराष्ट्र का 56वां वार्षिक निरंकारी सन्त समागम 56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam जो कि औरंगाबाद, महाराष्ट्र में दिनांक 27 से 29 जनवरी 2023 में होने जा रहा है जिसमें देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु सन्त, महापुरुष हिस्सा लेंगे और
निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज जी की रहनुमाई में इस वार्षिक निरंकारी सन्त समागम56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam का आयोजन लम्बे समय के अंतराल के बाद ( दो वर्षों से तथा पिछले वर्ष ऑनलाइन होने के बाद ) इस बार यह ऑफ़ लाइन रूप में होगा जिसमें विश्व भर के मानव इंसानियत की राह पर चलते हुए आपसी भाईचारे का सन्देश देते हुए आत्मा का परमात्मा से मिलन का आनंद लेते हुए रूहानियत और इंसानियत का सफ़र संग-संग तय करेंगे . Nirankari Live Aurangabad .
56वां महाराष्ट्र निरंकारी सन्त समागम 2023 में किस जगह है ? ( 56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam2023 )
निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज जी की असीम कृपा से इस बार 56वां महाराष्ट्र निरंकारी सन्त समागम 2023 में औरंगाबाद शहर में होने जा रहा है . ( 56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam2023 )
56वां महाराष्ट्र निरंकारी सन्त समागम 2023 में कितने दिनों का है ? ( 56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam2023 )
56वां महाराष्ट्र निरंकारी सन्त समागम 2023 वैसे तो हर साल की तरह तीन दिनों का लेकिन गुरु वन्दना कार्यक्रम को मिलाकर चार दिनों का हो जायेगा जी . ( 56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam2023 )
56वां महाराष्ट्र निरंकारी सन्त समागम 2023 में कौन से माह में होगा ? ( 56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam2023 )
56वां महाराष्ट्र निरंकारी सन्त समागम 2023 में जनवरी माह में होगा जी . ( 56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam2023 )
56वां महाराष्ट्र निरंकारी सन्त समागम 2023 की तारीख़ कौन-कौन सी हैं जी ? ( 56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam2023 )
56वां महाराष्ट्र निरंकारी सन्त समागम 2023 की तारीख़ जनवरी माह की 27 , 28 व 29 तीन तारीख़ हैं जी . ( 56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam2023 )
56वां महाराष्ट्र निरंकारी सन्त समागम 2023 गुरु वन्दना कब की है जी ? ( 56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam2023 )
56वां महाराष्ट्र निरंकारी सन्त समागम 2023 गुरु वन्दना दिनांक 30 जनवरी 2023 की है जी . ( 56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam2023 )
56वां महाराष्ट्र निरंकारी सन्त समागम 2023 में औरंगाबाद जाने के लिए मुम्बई से दूरी कितने किलोमीटर की है जी ? ( 56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam2023 )
56वां महाराष्ट्र निरंकारी सन्त समागम 2023 में औरंगाबाद जाने के लिए मुम्बई से दूरी राष्ट्रीय राजमार्ग 160 से जायेंगे तो यह दूरी 361.5 किलोमीटर की और यदि राष्ट्रीय राजमार्ग 753F से जायेंगे तो यह दूरी 378 किलोमीटर की पड़ेगी जी . ( 56th Maharashtra Nirankari Sant Samagam2023 )
Bhopal Nirankari Satsang धन निरंकार जी संतो ! आज का दिन भोपाल की संगत के लिए बहुत ही ख़ास है क्योंकि आज समय के रहबर सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज जी ने यहाँ की तमाम संगत की झोलियाँ खुशियों से भर दीं क्योंकि बहुत लम्बे समय से ऐसे खुले में संगतें जहाँ एक ओर अपने सतगुरु के दर्शनों को तरस रहीं थीं वहीँ सतगुरु ने भी साक्षात अपने दर्शनों से संगतों पर रहमतें बरसायीं !
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज जी की हजूरी में यहाँ की संगतों ने कविताओं, गीतों-भजनों का प्रयोग करते हुए तथा निरंकार प्रभु-परमात्मा का गुणगान करते हुए बहुत ही सुंदर ढंग से सत्संग का आनन्द दोगुना कर दिया और सतगुरु का आशीर्वाद प्राप्त किया ! निरंकारी सेवादल ने भी बहुत ही सुंदर ढंग से मर्यादापूर्वक संतो का आदर सत्कार किया और अपनी सेवा अच्छे से निभाई ! बाल संगत ने भी सतगुरु माता जी का आशर्वाद प्राप्त किया और सतगुरु माता जी से बाल संगत बढ़ने की कामना भी करी ताकि सभी अपनी ज़िन्दगी में निरंकार का सहारा ले कर अपना लोक सुखी और परलोक सुहेला करते चले जायें !
Nirankari Satsang Indore धन निरंकार जी संतो ! सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज जी की रहमतों की लड़ी में आज इंदौर में विशाल संख्या में एकत्रित हो कर तथा कोविड के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए तथा मर्यादित अवस्था में सभी सन्तजनों ने अपनी झोलियाँ, सतगुरु माता जी के आशीर्वाद और रहमतों से भर कर अपने जीवन को आनंदित किया !
इस सुन्दर सत्संग कार्यक्रम के दौरान, गीतों, कविताओं गाते हुए और निरंकार प्रभु परमात्मा का यशोगान करते हुए तथा आनंद लेते हुए सन्तजनों ने अपने जीवन को धन्य किया और एकता का सुंदर रूप सुशोभित किया !
इंदौर की समस्त साध-संगत, आज यहाँ सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के आगमन पर और अपनी रहमतों की बरसात करने के लिए बहुत-बहुत शुक्र गुजार है ! सतगुरु माता जी से यही अरदास है कि ये रहमतों की बरसात का सिलसला यूं ही सदैव निरन्तर संतो की झोलियों में डालते रहना और सबका कल्याण करते रहना जी ! प्यार से कहना, धन निरंकार जी !
जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि : सामने वाला हमें वैसा ही नजर आएगा, जैसे हमने उसके प्रति अपनी धारणा बना ली है।
जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि | As is the Vision, so is the Creation
जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि : सामने वाला हमें वैसा ही नजर आएगा, जैसे हमने उसके प्रति अपनी धारणा बना ली है। हम सभी अपना नज़रिया ऐसा बनाएं जैसे कि हम सृष्टि को देखना चाहते हैं। सौन्दर्य तो दर्शक की आँखों में होता है इसलिए अगर हम अपनी दृष्टि सुंदर रखेंगे तो हमें सृष्टि भी सुंदर लगेगी। किसी की तो तमाम खामियों के बावजूद हम उसे बहुत प्यार से के देखते हैं, जबकि किसी की तमाम खूबियाँ भूलकर, एक खामी की वजह से हम उस इन्सान को अपने मन से उतार देते हैं और उससे बात करना छोड़ देते हैं। इसलिए हम सभी को खुद को स्थिर रखने की आवश्यकता है। यह विचार सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
अक्सर हमारी आँखों में ही गलती होती है-जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि | Our Eyes are Often at Fault
अक्सर हमारी आँखों में ही गलती होती है यानि कि जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि, बेशक हमारी नीयत ठीक हो। उदाहरण के तौर पर जिस बुजुर्ग इंसान को हमने सड़क पार करा दी, बाद में पता चला कि उसे इसकी जरूरत नहीं थी। चूक हो गई क्योंकि सामने वाले की जरूरत को बिना समझे हमने निर्णय ले लिया।
हमने परछाई को ही हकीकत बना दिया-जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि | We Turned the Shadow into Reality
एक और उदाहरण भी हमने सुना है कि हम बार-बार एक चीज को पानी में से निकालने की कोशिश कर रहे हैं। फिर भी हम उसे पानी से निकाल नहीं पा रहे क्योंकि कोई वह कीमती चीज तो दरअसल पेड़ पर टंगी है और उसकी परछाई ही पानी में दिखाई दे रही है। हमने परछाई को ही हकीकत बना दिया।
ऐसा भी होता है कि हमने किसी कमरे में प्रवेश किया और वहाँ दो व्यक्तियों के बीच पहले से ही कोई वार्तालाप चल रहा है। हमने पीछे की बात सुनी नहीं और सामने वाले के प्रति हम अपनी एक धारणा बना कर बैठ जाते हैं। बहुत बार जो दिखाई देता है, सुनाई देता है वह सही नहीं होता। जब हमने परमात्मा को मन में बसा लिया, अपने हर ख्याल में बसा लिया तो हमें संदेह का लाभ किसी और को देना आ जाए, बेशक गलती किसी से भी हुई हो।
किसी का स्वभाव कैसा भी हो, हम यह मानें कि हमारा नज़रिया ही ठीक नहीं। किसी को देखकर कई बार लगता है कि यह व्यक्ति कुछ अजीब-सा है। उसके पीछे भी कोई कारण तो रहा होगा। हो सकता है. उसको कुछ अच्छे अनुभव ना हुए हों और हालात की वजह से उसके अंदर कड़वापन आ गया हो।
अपने नजरिए में जब हम निरंकार को बसा लेते हैं फिर हमें हर चीज पावन व पुनीत दिखती है जैसा निरंकार ने उसे मूल रूप से बनाया है। इन्सान के शरीर द्वारा गलतियां होने पर भी रूह तो निरंकार का अंश है।
इस शरीर पर माया का असर होता है क्योंकि मानवीय अनुभव शरीर से होता है। निरंकार को याद रखने से माया का रंग भी अपने आप उतरता चला जाता है और शरीर में रहते हुए, परमात्मा से इकमिक हो कर जीना संभव हो जाता है।