हरदेव वाणी

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 हे अविनाशी परम प्रकाशी हे निर्गुण निरंकार।

नित्य सनातन आदि अनादि सृष्टि के आधार।

जब ये धरती अम्बर न थे और न था संसार।

तब तू ही था तू ही रहेगा आगे भी करतार।

कायम दायम रहने वाला अजर अमर दातार।

क्या गायेगा कोई तेरी महिमा अपरम्पार।

तेरा रुतबा सबसे ऊंचा जग के सृजनहार।

नमस्कार ‘हरदेव’ है करता तुझको बारम्बार।

 

तू ही पिता है तू ही माता नित नित तुझको नमन करूं।

तू ही है बन्धु तू ही भ्राता नित नित तुझको नमन करूं।

हे जग कर्ता भाग्य विधाता नित नित तुझको नमन करूं।

हे सुख सागर आनंद दाता नित नित तुझको नमन करूं।

निरंकार है सबसे बड़ा तू नित नित तुझको नमन करूं।

पल छिन मेरे साथ खड़ा तू नित नित तुझको नमन करूं।

मैं मछली का तू सागर है नित नित तुझको नमन करूं।

जुदा न होता तू पल भर है नित नित तुझको नमन करूं।

तू ही समाया है अंग संग में नित नित तुझको नमन करूं।

रंग जाऊं तेरे ही रंग में नित नित तुझको नमन करूं।

जित जाऊं उत तुझे ही पाऊं नित नित तुझको नमन करूं।

गुण ‘हरदेव’ तेरे ही गाऊं नित नित तुझको नमन करूं।

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