विस्तृत जानकारी
Nirankari Live Today गुरसिख की भावना
Nirankari Live Today गुरसिख जो होता है वो दास ही बनकर रहता है। उसके हृदय में दास भावना होती है। वो इस पल, एक पल या कुछ पल के लिये नहीं बल्कि दम दम पल-पल दास ही बनके रहता है। उसकी भावना भक्ति वाली होती है, विनम्रता वाली होती है। दास भावना, जिसके हृदय में बस जाती है, वही ऊँचाइयों को प्राप्त कर लेता है।
गुरसिख वही कार्य करता है
गुरसिख वही कार्य करता है जिस तरफ गुरु का इशारा आ जाता है। गुरसिख उसी तरफ को ही, ‘क्यों और किंतु किए बगैर बढ़ता जाता है। उसमें कोई अपनी अक्ल नहीं लगाता है। उसमें कोई और चतुराई नहीं ले आता है। वो तो जैसे इशारा आया उसी को ही हुक्म मानकर, उसको सर आँखों पर ले लेता है और फिर नतमस्तक हो जाता है। जो काम Nirankari Live Today आशय के अनुसार किये जाते हैं, वही शोभायमान हुआ करते हैं। वही होते हैं जो हमारे जीवन में आनंद ले आते हैं।
मुझे तो सलीका ही नहीं है
लाख सयाना हो लेकिन गुरसिख अपने आप को मूढ़ मानता है। मैं कौन हूँ विचार करने वाला। मैं कौन हूँ विद्वता की बात करने वाला। मैं तो एक मूर्ख-सा हूँ, मुझे कोई ढंग नहीं है। विद्वता तो दूर की बात, मुझे तो उठने-बैठने का भी सलीका नहीं है। मुझे तो सलीका ही नहीं है कि भक्तों का कैसे सत्कार किया जाता है। मुझे तो सलीका ही नहीं है कि सेवा कैसे की जाती है… Sant Nirankari Mission।
गुरसिख अपने आपको चरण रज मानता है
वो लाख दौलत वाला हो लेकिन वो अपने आपको चरण रज मानता है कि मैं तो एक धूल से भी ज्यादा नहीं हूँ। मैं कहीं का दौलतमंद हूँ। ठीक है चार पैसे अगर आ गये हैं तो ये भाव नहीं है कि मैं बहुत ऊँचा हो गया हूँ और बाकी मेरे से नीचे दर्जे वाले हो गये हैं।
जो दौलत गुरु ने, ( मुर्शद ने ) बख्शी है
जो दौलत मुझे गुरु ने बख्शी है, उस दौलत के कारण ही मैं अमीर हूँ।…Nirankari Live Today.
जो दौलत मुझे गुरु ने, ( मुर्शद ने ) बख्शी है इसी दौलत के कारण मैं अमीर हूँ बाकी दौलतों के कारण मैं अमीर नहीं हूँ।
गुरसिख अपने अस्तित्व को मिटा देता है
गुरसिख अपने आपको मुका देता है। यानि कि अपने अस्तित्व को मिटा देता है। मैं कौन हूँ? मेरा तो कोई अस्तित्व ही नहीं है। मेरा तो कोई वजूद ही नहीं है। एक बुलबुले का तो वजूद हो सकता है, मेरा तो उतना भी वजूद नहीं है। अगर कहीं भूल से भी कोई ऐसी बात हो जाती है तब भी भक्त के मन में ग्लानि का भाव आ जाता है, जैसे कोई डर जाता है, भय में आ जाता है कि कहीं मेरे से कोई ऐसी चूक तो नहीं हो गई है। दूसरी तरफ संसार में सरेआम गुनाह करके फिर भी छाती चौड़ी की जाती है, का सरेआम गुनाह करको फिर भी स र उठायें फिरते है और यहीं मानते हैं कि पता नहीं क्या-क्या हमने प्राप्ति कर ली है।
गुरसिख जो होता है वो कर्म करता है, वो अपनी जिम्मेदारियाँ निभाता है, वो अपनी भक्ति निभाता है। निष्काम भक्ति की महत्ता है, इसलिये वो कर्म भी निष्काम करता है। वो कामनाओं के साथ नहीं जोड़ता है। Nirankari Live Today जैसे पहले भी महापुरुषों-संतों ने कहा है कि इबादत और बंदगी, उसकी है। वो कीमत नहीं मांगता। जो भक्त होता है वो निष्काम भावना वाला होता है।
ऐसे गुरसिख का नाम रोशन हो जाता है। उसका रुतबा बुलंद हो जाता है। हमेशा-हमेशा के लिये उसको ऊँचा स्थान प्राप्त हो जाता है। जिन्होंने इस सच्ची दौलत से अपने आपको अमीर बनाया। जो आदेश आये उसी अनुसार अपने आपको चलाया। वही है जिन्होंने ऊँचा रुतबा प्राप्त कर लिया। जिस स्थान कोई उनको हिला नहीं सका। चाहे सदियों बीत गई, चाहे युग बीत गये लेकिन जो स्थान उनको प्राप्त हुआ वो आज तक वो स्थान प्राप्त है। उसको कोई धूमिल नहीं कर सका है। ऐसे गुरसिखों का नाम रोशन हो जाता है जिन्होंने समर्पण भाव से अपने आपको है।…Nirankari Live Today
गुरसिख कौन होता है ?
Nirankari Live Today गुरसिख जो होता है वो दास ही बनकर रहता है।
गुरसिख की दौलत कौन सी होती है ?
ब्रह्म-ज्ञान की दात वाली दौलत, जो की मुर्शिद (सतगुरु) बक्शते हैं वो दौलत गुरसिख की असली दौलत हुआ करती है।…Nirankari Live Today
सद्गुरु के दर पर ऊँचाइयों को कौन छूता है ?
दास भावना, जिसके हृदय में बस जाती है, वही ऊँचाइयों को प्राप्त कर लेता है।…Nirankari Live Today