ब्रह्मज्ञान पाने के बाद ही मुक्ति की ओर अग्रसर हो सकते हैं – निरंकारी विचार सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

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        ब्रह्मज्ञान पाने के बाद ही मुक्ति की ओर अग्रसर हो सकते हैं
                                                                                                         …सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज 
Nirankari Satsang Live                    
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Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj
    सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने एक दिवसीय सत्संग समारोह में कहा कि ब्रह्मज्ञान पाने के बाद ही मुक्ति की ओर अग्रसर हो सकते हैं। जीवन मुक्त Nirankari Satsang Live होना ही सही मायने में मुक्ति है। सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज मुक्ति-पर्व समागम के अवसर पर श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर रहे थे।
    मुक्ति-पर्व पर शहंशाह बाबा अवतार सिंह जी एंव जगत माता बुद्धवंती जी सहित उन तमाम महात्माओं को याद किया Nirankari Satsang Live जाता है, जिन्होंने संत निरंकारी मिशन के सत्य सन्देश के प्रचार-प्रसार में सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया।
    सद्गुरु माता सुदीक्षा जी ने आत्म-विश्लेषण करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि हम सोचें कि मुक्ति का असली अर्थ क्या है ? वास्तव में जीवन मुक्त होना ही सही मायनों में मुक्ति है।  क्या हमने ब्रह्मज्ञान को पाकर अपनी असली पहचान Nirankari Satsang Live कर ली है ? क्या जीवन से मृत्यु की इस यात्रा में हम निरंकार से जुड़ पाए हैं ?
    अगर ज़िन्दगी के सफर में हमें उतार -चढ़ाव, सुख-दुःख आदि का असर नहीं हो रहा तभी हम जीते जी मुक्त हैं। हमें सेवा, सुमिरन, सत्संग करने का सुक्ष्म अभिमान नहीं आना चाहिए, अगर Nirankari Satsang Live कोई गलत विचार मन में आते हैं तो वे हमें गलत रास्ते पर ले जाते हैं, निरंकार से दूर कर देते हैं और फिर हम मुक्ति से भी दूर चले निरंकारी विचार सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज  जाते हैं।
    सद्गुरु माता सुदीक्षा जी ने कहा कि भक्ति कोई कुछ समय के लिए करने वाला कार्य नहीं है बल्कि जीवन भर करने वाला कार्य है। जब हम निरंकार के Nirankari Satsang Live एहसास के साथ जुड़कर कोई नेक कार्य करते हैं तो वो भी सेवा, सुमिरन, सत्संग का एक हिस्सा बन जाता है, चाहे हम घर में काम कर रहे हों या किसी की मदद करके सेवा कर रहे हों। फिर हमारा जीवन सुन्दर और भक्तिमय निरंकारी विचार सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज  बन जाता है।
    हमारे जीवन में कभी भी ऐसा समय जीते जी नहीं आता कि हम परिपूर्ण  हो जाएं। हम इंसान हैं तो कमियां भी हमारे Nirankari Satsang Live जीवन में रहेंगी, परन्तु इतना तो अवश्य कर सकते हैं कि हम अपने मूल इस निरंकार से जुड़कर इस पर ध्यान टिका कर बेहतरी की ओर बढ़ते जायें।
    कम से कम इतना तो करें कि हर दिन हमारी कमियां थोड़ी काम होती जाएं।  हमारे कर्म दूसरे के आंसू  पोंछने वाले हों, औरों को खुशियां देने वाले हों। Nirankari Vichar Satguru Mata Sudiksha Ji दातार कृपा करे कि सभी ब्रह्मज्ञान प्राप्त करके अपने जीवन में मानवीय मूल्यों को विकसित करें और गलत रास्ते पर कदम बढ़ाने Nirankari Satsang Live से बचें।

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