सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में विधमान हर एक कण से
अच्छाई सीख कर हमें अपने जीवन में ढालना है… सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj |
सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज जी ने एकदिवसीय सत्संग समारोह में कहा कि, पूरे ब्रह्मांड में यह जो कण-कण में शिक्षा है इसको हमने अपने जीवन में उतारना है। यह जो शिक्षा है कि हमने कभी भी किसी से भी किसी भी स्थिति में कुछ भी सीखा है तो वह हमारे अन्दर इस तरह ढल जाती है कि ताउम्र कायम रहती है।
अगर हम सामाजिक रूप से भी देखें कि कुछ समय पहले टेप रिकॉर्डर होते थे, वीडियो कैसेट होती थी, ग्रामोफोन होते थे तो आज तो वह Nirankari Vichar Satguru Mata Sudiksha Ji तकनीक पुरानी हो गई हैं। समय के साथ कैसे सब ने सीखा कि अपने आप को अपडेट करें।
आज फिर यह एक स्थिति आई लॉकडाउन की कि बाहर जाकर अगर अपना कार्य नहीं कर पा रहे हैं तो हमने सीखा कि Nirankari Vichar Satguru Mata Sudiksha Ji किस तरह घर बैठे भी अपने कार्य को ‘वर्क फ्रॉम होम’ के रूप में करना है।
हम अपने जीवन में सीखते हैं, हर पल सीखते हैं, हर जगह से शिक्षा मिल रही है। हमने यह चुनाव भी करना है कि कौन सी शिक्षा रखनी है और कौन सी शिक्षा नहीं लेनी, यह भी बहुत महत्वपूर्ण है। हमने Nirankari Vichar Satguru Mata Sudiksha Ji अगर किसी व्यक्ति के स्वाभाव में किसी चीज़ को देखा तो साथ में यह भी देखा कि उस व्यक्ति में जो अच्छाईयां हैं उनसे सीखो और यदि अच्छाइयां नहीं हैं तो बुराई के रूप में सामने आया तो यह भी सीखो कि उसको नहीं सीखना।
एक यह भी शिक्षा कि कैसे इस साल यह ‘समागम फ्रॉम होम’ हम सबकी झोली में आया है कि घरों में बैठे हुए ही इस Nirankari Vichar Satguru Mata Sudiksha Ji समागम का उसी तरह आनन्द, वही सेवा भाव जो मैदानों में आप सब सन्तों का होता था वह अब अपने परिवार रूप, घर रूप में ही टेक्नोलॉजी के माध्यम से वह आनन्द इस बार इस तरह लेंगे।
सन्तों का तो कभी भी शिकायती भाव नहीं होता तो कैसे सहज में ही यह आनन्द आया है कि इस बार तो समागम जाया नहीं जाएगा तो उसको भी एक सकारात्मक रूप में लेNirankari Vichar Satguru Mata Sudiksha Ji लिया कि इस बार तो घर की ही सहूलियत में बैठे हुए यह समागम करने को मिलेगा।
दातार कृपा करे कि Nirankari Vichar Satguru Mata Sudiksha Ji जीवन में हर एक के जहां सेवा, सुमिरन और सत्संग के पहलू और ज्यादा मजबूत हों वहीं एक हर चीज़ में भी यह शिक्षा हमें मिल सकती है, किसी से भी शिक्षा मिल सकती है।
सिर्फ़ हम मनुष्य तक ही नहीं ब्रह्माण्ड से Nirankari Vichar Satguru Mata Sudiksha Ji सीखने की बात है तो उसी तरह हमें क्या शिक्षा किस से लेनी है, किसकी क्या अच्छाई है उसको अपनाते चले जायें और जो भी किसी की नकारात्मकता है वह अपनाने की हमें ज़रुरत नहीं, वह सीखने का नहीं।