निरंकार प्रभु-परमात्मा पर श्रद्धा और विश्वास कायम रखें … निरंकारी विचार सतगुरु माता सुदीक्षा जी nirankari vichar satguru mata sudiksha ji maharaj

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निरंकार प्रभु-परमात्मा पर श्रद्धा और विश्वास कायम रखें 
निरंकारी विचार सतगुरु माता सुदीक्षा जी

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Satguru Mata Sudiksha Ji Maharaj

Nirankari Satsang Live

   द्गुरु माता सुदीक्षा जी ने एकदिवसीय सत्संग समारोह में कहा कि, दुनिया में देखा जाए तो हमारी श्रद्धा किसी भी चीज़ पर हो सकती है पर यहाँ पर हम जो श्रद्धा की बात कर रहे हैं वो इस प्रभु-परमात्मा निरंकार से है।
 
 
     म अपने काम-काज की दुनिया में देखें, इतनी लगन से अगर कोई कार्य करता है तो कहा जाता है कि कर्म ही पूजा है या इस तरह से कि इस व्यक्ति ने तो अपना कार्य इतना अच्छे से निभाया कि यह कार्य ही उसकी पूजा बन गया।
    लेकिन यहाँ जो श्रद्धा है वह अपने इष्ट के प्रति है और यह लगन परमात्मा के प्रति उसकी जानकारी होने के बाद ही लगती है। मन में भाव आते हैं और फिर वो श्रद्धा सिर्फ अपने गुरु तक ही सीमित नहीं होती बल्कि उसका बहुत विस्तार हो जाता है।
    मारी श्रद्धा ही होती है कि किसी को अगर घर में बुलाया है भोजन के लिए तो वो घर जाकर बाद में बताते भी हैं कि मैं उन महापुरुषों के घर गया और बहुत ही श्रद्धापूर्वक उन्होंने भोजन खिलाया।
    द्गुरु माता सुदीक्षा जी ने कहा कि, यह मन में घर करने वाली बात है कि किस चीज़ पर संसार में श्रद्धा रखनी है किस पर नहीं क्योंकि यह भी देखा जाता है कि अगर कोई नुकसान देने वाला कार्य है तो भी कुछ ऐसे लोग होते है कि वो उसके लिए भी इतने ही दृढ हो जाते हैं। उतनी ही निष्ठा से लगे रहते हैं और रात की नींद भी त्याग देते हैं।
    सा सोचें, ऐसा करें, ऐसा लिखें कि जिससे किसी का निकसान होता हो तो ऐसी श्रद्धा किसी काम की नहीं है क्योंकि श्रद्धा तो पवित्रता से जुड़ा शब्द है। जहाँ विश्वास की बात है तो हमारे विश्वास के भी कितने पहलू हैं जीवन में। अगर कोई इंटरव्यू के लिए जा रहा है तो कैसे इंटरव्यू लेने वाला उसके विश्वास की जाँच करता है और बाद में बोलता है कि मुझे तुम्हारा आत्मविश्वास पसंद आया।
    म शरीर नहीं हैं, हम आत्मा हैं तो जब आत्मा और परमात्मा का मेल हुआ है तो फिर यह एक विश्वास इस परमात्मा पर कि हर बात को इस तरह से मन में बिठा लेना कि यही सब कुछ है। हम परमात्मा पर अपनी श्रद्धा व विश्वास को मजबूत करें।

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